शनिवार, 9 जून 2007

बागपत खादर में करोड़ों के भूमि घोटाला सामने आया

बागपत। नोएडा के बाद अब बागपत खादर में एक बड़ा भूमि घोटाला सामने आया है। हरियाणा का एक भूमाफिया बागपत के किसानों से नोटरी के माध्यम से भूमि को अपने नाम करवा रहा है। करोड़ों की भूमि को टकों में लेकर भोले भाले किसानों का बेवकूफ बनाया जा रहा है। इस मामले से पर्दा उठने के बाद भूमाफिया के खिलाफ किसानों में जबर्दस्त गुस्सा है। भूमि घोटाले का यह मामला बागपत खादर का है। यूपी हरियाणा सीमा विवाद के अंतर्गत जो भूमि सोनीपत तहसील के झूंड़पुर व अन्य गांव से बागपत खादर में आयी है। उसे हरियाणा का एक भूमाफिया किसानों से नोटरी के माध्यम से अपने नाम करवा रहा है। किसानों को एक बीघा भूमि 80 हजार रुपये में खरीदने के नाम पर मात्र पांच से दस हजार रुपये के बीच ही दिये जा रहे है। बागपत कस्बे के सौ से ज्यादा काश्तकारों ने भूमाफिया के बहकावे में आकर नोटरी के माध्यम से दस और बीस रुपये के स्टाम्प पर अपने अंगूठे और हस्ताक्षर कर दिये है। वर्तमान में यह स्टाम्प भूमाफिया के पास ही मौजूद है। खादर में भूमि के फर्जीवाड़े का यह खेल पिछले कई माह से चल रहा है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशासन द्वारा कई माह पहले खादर में श्रेणी तीन व चार के पट्टे निरस्त किये जा चुके हैं। वर्तमान में खादर की भूमि पर सर्वे का कार्य चल रहा है, लेकिन मजेदार बात यह है कि बागपत खादर के खसरा नंबर 402 और झुंड़पुर से बागपत खादर आये खसरा नंबर 122 को सम्मलित करते हुए नोटरी के माध्यम से लगभग तीन सौ बीघा भूमि भूमाफिया ने अपने नाम करा ली है। दस और बीस रुपये के स्टाम्प से किसानों की भूमि को भूमाफिया के नाम करने का यह खेल बागपत तहसील के पास बैठने वाला एक वकील का मुंशी कर रहा है। आरोपित है कि वह किसानों और भूमाफिया के बीच मोटे पैसे कमा रहा है। तहसील के एक अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वास्तव में खादर की जमीन पर भूमाफिया किसानों का बेवकूफ बनाकर उनकी जमीन को अपने नाम करा रहा है। पिछले एक पखवाड़े से भूमि के घोटाले की चर्चा कर्मचारियों व लोगों की जुबान पर है तथा इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठते ही किसानों में भूमाफिया के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है। बागपत के किशन, राजाराम, जय सिंह, मंगत, राधेश्याम आदि पीड़ित किसानों ने बताया कि उन्हें एक बीघा भूमि 80 हजार रुपये में खरीदने का आश्वासन देते हुए मात्र पांच और दस हजार रुपये ही दिये गये है। बाकी रुपये अभी तक नहीं दिये गये है। स्टाम्प पेपर भी उसी व्यक्ति के पास है जिसने उनसे स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवाये है। इस संबंध में एसडीएम प्रेम प्रकाश ने बताया कि इस प्रकार का कोई मामला उनके संज्ञान में अभी तक नहीं आया है। उन्होंने बताया कि जमीन बेचने की असली प्रक्रिया बैनामा के माध्यम से होती है। नोटरी के माध्यम से यदि जमीन बेची जाती है तो बाद में भी बैनामा प्रक्रिया अपनाकर जमीन का दाखिल खारिज कराना पड़ता है। अभी तक इस तरह के किसी भी मामले की तहसील में दाखिल खारिज भी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच करायी जायेगी।

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