शनिवार, 2 जून 2007

मचान विधि से करें बेलों की सब्जियों का उत्पादन

बागपत। उद्यान अधिकारियों ने किसानों से कहा है कि यदि वे खरीफ के मौसम में मचान के माध्यम से बेलों की सब्जी का उत्पादन करेंगे तो अधिक लाभ में रहेंगे। उन्होंने बताया कि मचान विधि से उत्पादित सब्जियां चमकदार और रोग रहित होती हैं। उद्यान अधिकारियों के अनुसार बेलों की सब्जियों में तोरई, खीरा, करेला आदि आती है। भूमि पर बेल बिछाने से एक तो उत्पादन कम होता है और दूसरा कई प्रकार के रोग इन सब्जियों में लग जाते हैं, जिसके चलते बेलों की सब्जियां किसानों के सामने घाटे का सौदा बनकर रह गई हैं। किसानों को उनकी लागत भी वसूल नहीं हो पाती। वर्तमान समय में बेलों की सब्जियों पर लीफरोलर कीट का खतरा मंडरा रहा है। पिलाना गांव में तोरई की बेलों में लीफरोलर के हमले के कारण बेल की पत्तियां सिकुड़ गई हैं। इस कीट से बचाव के लिए किसान बेलों पर कार्बोराइड डस्ट का हलका छिड़काव कर सकते हैं। वरिष्ठ उद्यान अधिकारी राममेहर सिंह सोलंकी का कहना है कि खरीफ की फसल में बेल की सब्जियां मचान विधि से बोने से अधिक लाभ मिलेगा। इससे उत्पादन में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी और सब्जी चमकदार एवं रोगरहित रहेगी। उन्होंने बताया कि जनपद के 20-25 गांव की लगभग 150 हेक्टेयर भूमि पर बेलों की सब्जियों का उत्पादन किया जाता है। जिसमें पिलाना, रोशनगढ़, मुकारी, बड़ गांव, लहचौड़ा, सिंघावली अहीर, छपरौली, कुरड़ी, ककौर, रमाला, सूप, बरनावा, जौहड़ी, आदि गांव सम्मिलित हैं। उद्यान अधिकारियों ने मचान विधि से सब्जियों का उत्पादन करने के लिए एक प्रस्ताव बनाकर 'आत्मा' को भेजा है। यह है मचान विधि एक मचान बनाने के लिए भूमि पर चार लकड़ी या लोहे के खंबे गाड़ उन पर ऊपर की ओर लोहे के तार बांध दिए जाते हैं। इस प्रकार मचान बनकर तैयार हो जाता है। सब्जी की बेलों को इन खंबों पर चढ़ा दिया जाता है और बाद में तारों पर बेलों को लटका दिया जाता है।[Saturday, June 02, 2007 2:10:16 AM (IST) ]

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